छोटे छोटे खड़ म तो , दुनिया बट जाही ,
अउ छोटे छोटे करम ले संगी , दुनिया सज जाही ।
“अकेल्ला मैं का कर सकथौ” झन सोंच,
तोर मुस्कुराये ले सबके खुसी बढ़ जाही ।
दुख दरिदरी , परसानी पहाड़ जस हे भले,
फेर किरचा किरचा म संगी ,पहाड़ टर जाही |
तैं नहीं त कोन ,तहीं बता तोर घर के सजईया ?
देखा हिजगी म दुनिया , दुख दरिदरी ले अउ पट जाही ।
खुद ल समझ ले अउ दुसरो ल समझ ले,
सुख समरिद्धि ले मनखे मनखे लद जाही ।
अहम ल तियाग, सहारा ले अउ सहारा बन कोखरो ,
निरबल ,निरधन घलो सरग – आसमान चढ़ जाही ।
पथरा भगवान ,मनखे घलो भगवान मानबे त ,
भगवान का? सरग धरती म उतर आही ।
–तेजनाथ
बरदुली, पिपरिया,
जिला – कबीरधाम छ ग.
मो.9479188414
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